द गर्ल इन रूम 105
हम सबको बर्बाद कर दिया। सिकंदर ने अपने अब्बा और ज़ारा आपा को खो दिया। उसे गहरा झटका लगा। उसने तो दो बार खुदकुशी करने की भी कोशिश की थी। अल्लाह ने उसकी हिफाज़त की. शुक्र है।" वो आकर हमारे सामने बैठ गई।
'मैं माफी चाहता हूँ, आटी' मैंने कहा 'मैं समझ सकता हूं कि आप पर क्या गुजरी होगी। लेकिन एक आप ही हमारी मदद कर सकती हैं। सिकंदर को हमसे बात करने को रोज़ी कीजिए।' 'जैसे कि वो मेरी बात सुनता है। वो उन नालायक दहशतगर्दी के साथ घूमता रहता है। मैंने कितनी बार उससे कहा कि एक ढंग की नौकरी कर ले। और कुछ नहीं तो एक दुकान हीं खोल ले। लेकिन वो सुनने को ही तैयार
नहीं।' "दहशतगर्द "
"वही कट्टर मुल्ले क़िस्म के लोग, जो आज़ादी की बात करते हैं। हां, हम सभी को हिंदुस्तान से नफरत है,
लेकिन हम तो बंदूकें नहीं लहराते फिरते। कभी-कभी जो आपका मुक्कदर हो, उसको कुबूल करना पड़ता है।' 'मुकद्दर? आंटी, इंडिया आपका मुल्क है।" "लेकिन हमारा सुबा तो कश्मीर ही है। हमारी पहचान, हमारा सब कुछ।"
'आंटी, अगर हर स्टेट ऐसे ही सोचने लगे तो क्या होगा?" सौरभ ने कहा।
'कश्मीर की बात अलग है, ' फरजाना ने कहा 'हम एक ऐसी प्रॉब्लम हैं, जिसे कोई भी हल नहीं करना चाहता। हमारे नाम पर केवल सियासत की जाती है।'
मैंने खुद को याद दिलाया कि मुझको कश्मीर की राजनीति वाले पचड़े में नहीं पड़ना है, जो इतनी कॉम्प्लिकेटेड है और जिसको समझना मेरे बस की बात नहीं।
'आंटी, अभी सिकंदर कहां पर है? मैंने कहा।
वो यहां दस दिन पहले था। फिर वो अपने उन तेहरीक़ वाले नालायकों के साथ पहलगाम चला गया। वहीं से उसने मुझे कल फोन लगाया था।'
*क्या आप हमें उसका नंबर देंगी? हमारे पास जो नंबर है वो लग नहीं रहा है.' मैंने कहा।
"वो नंबर बदलता रहता है। खैर, मेरे पास छुपाने को कुछ भी नहीं है। ये देखो मेरा फोन मुझे पिछला कॉल
उसी ने लगाया था।'
उन्होंने अपने चुर्के की पॉकेट से फोन निकाला। मुझे नहीं मालूम था कि बुर्के में पॉकेट भी होती हैं। मैंने सिकंदर का नंबर डायल किया।
'सलाम, अम्मी जान, सिकंदर ने फ़ोन उठाते ही कहा।
'हाय सिकंदर, मैं केशव बोल रहा हूं।' दूसरी तरफ सन्नाटा छा गया।
"सिकंदर, मुझे तुमसे बात करनी है।'
"हरामी अब तूने अम्मी का फोन कैसे हासिल कर लिया?
"फरजाना आंटी अभी मेरे साथ ही हैं।' 'ख़ुदा कसम, अगर अम्मी को कुछ हुआ तो मैं तुम्हारे पूरे खानदान का खात्मा कर दूंगा।'
'हमने अभी-अभी साथ बैठकर कहवा पीया है और वो तुम्हें सलाम कहना चाहती हैं।"
मैंने फ़रज़ाना को फोन दे दिया। 'जीबो, बेटे, 'फरजाना ने कहा ।
मैंने फ़ोन उनके हाथ से ले लिया।
'देखा, चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है, मैंने कहा।
"मुझे तुझे उसी दिन मार देना चाहिए था, उसने कहा और उसके बाद एक दर्जन गालियां बक दीं।
मैं अपार्टमेंट से बाहर गया और सीढ़ियों पर जाकर उससे बात करने लगा। "देखो, हम यहां इतनी दूर केवल तुमसे बात करने के लिए आए हैं।' 'क्यों?'
"मेरे पास तुम्हारी एक तस्वीर है, जिसमें जारा है और तुम्हारे हाथ में मशीन गन है। साथ ही मुझको दूसरी
चीज़े भी ज़ारा की सेफ़ से मिली है। क्या मैं दिल्ली में बैठे अपने दोस्तों को बोल दूं कि वो तमाम चीज़े पुलिस के
हवाले कर देंश